क्या है छुपी हुई भूख? World Soil Day विश्व मृदा दिवस 5 दिसम्बर: इतिहास और महत्व, महत्वपूर्ण नोट्स

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विश्व मृदा दिवस 2022
थीम "मृदा: जहां भोजन शुरू होता है"

विश्व मृदा दिवस का इतिहास

विश्व मृदा दिवस प्रतिवर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है।
2002 में, अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने सिफारिश की कि मृदा का उत्सव मनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाना चाहिए।
FAO (संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन) ने, थाईलैंड के साम्राज्य के नेतृत्व में और GSP (वैश्विक मृदा भागीदारी) के ढांचे के भीतर WSD (विश्व मृदा दिवस) स्थापित करने की पहल का समर्थन किया।
जून 2013 में, FAO सम्मेलन ने विश्व मृदा दिवस को मंजूरी दी।
UNGA (संयुक्त राष्ट्र महासभा) ने, जून 2013 में दिन को आधिकारिक रूप से अपनाने के लिए FAO के अनुरोध के अनुसार 5 दिसंबर 2014 को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया।

    विश्व मृदा दिवस क्यों मनाया जाता है?

    मृदा संरक्षण बहुत जरूरी है। यदि मनुष्य और पशुओं को स्वस्थ रहना है तो मिट्टी को भी स्वस्थ रखना चाहिए। मृदा नही तो भोजन नही। लोगों को मृदा की स्वास्थ्य के बारे में जानना जरूरी है। प्रत्येक व्यक्ति और समाज को स्वस्थ मृदा के महत्व को समझना होगा। मृदा प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है जो स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव जीवन के लिए अच्छा नहीं है। 

    विश्व मृदा दिवस 5 दिसम्बर 2022

    समाज में मृदा जागरूकता फैलाई जानी चाहिए ताकि मृदा प्रदूषण को रोका जा सके और मृदा संरक्षण इस स्तर पर किया जा सके कि स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और स्वस्थ मानव जीवन को कोई खतरा न हो।

    मृदा नही तो भोजन नही

    मिट्टी में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव, खनिज और जैविक घटक पाए जाते हैं, जो स्वस्थ मिट्टी के लिए आवश्यक हैं। यदि मिट्टी स्वस्थ है तो ही स्वस्थ पौधों की वृद्धि एवं विकास संभव है। अगर इंसानों और जानवरों को स्वस्थ रहना है तो उन्हें स्वस्थ भोजन तक पहुंच होनी चाहिए। स्वस्थ पौधों से स्वस्थ भोजन संभव है। अर्थात यदि मिट्टी स्वस्थ होगी तो स्वस्थ पौधे होंगे और स्वस्थ पौधों से स्वस्थ भोजन प्राप्त होगा। अतः यह हमारा कर्तव्य है कि हम यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व और सूक्ष्म जीव मौजूद हों।

    मृदा स्वास्थ्य को संतुलित रखना कितना महत्वपूर्ण है?

    स्वस्थ मिट्टी की कमी पोषण के लिए खतरा है। अगर मिट्टी ही स्वस्थ नहीं है तो मिट्टी में उगने वाले पौधों पर निर्भर रहने वाले मनुष्य और जानवर कैसे स्वस्थ रह सकते हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी से मिट्टी का क्षरण होता है जो पोषण के लिए खतरा है। पोषक तत्वों की कमी के कारण होने वाली मिट्टी की गिरावट को दुनिया भर में खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए विश्व स्तर पर सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं में से एक माना जाता है।
    कुछ मिट्टियों में पोषक तत्वों तथा सूक्ष्म जीवों की इतनी कमी हो जाती है कि पौधों की वृद्धि एवं विकास संभव नहीं हो पाता है। वहीं दूसरी ओर कुछ मिट्टी में पोषक तत्वों की अधिकता इतनी अधिक हो जाती है कि मिट्टी जहरीली हो जाती है और पर्यावरण को प्रदूषित करने लगती है। इसलिए मिट्टी के स्वास्थ्य को संतुलित रखना बहुत जरूरी है ताकि पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से बचा जा सके।

    क्या है छुपी हुई भूख?

    यदि भोजन में पोषक तत्वों की कमी हो तो वह भोजन पूर्ण नहीं माना जाता है। यदि उस भोजन को खाने से पेट भले ही भर जाता है लेकिन शरीर में पोषक तत्वों की कमी रह जाती है।
    पिछले 70 सालों में देखा गया है कि भोजन में विटामिन और पोषक तत्वों के स्तर में भारी कमी आई है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से दुनिया भर में 8 अरब में से 2 अरब लोग पीड़ित हैं। भोजन में लोगों को सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं मिल पाते और इसका पता लगाना मुश्किल है इसीलिए भोजन में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को बताने के लिए 'छिपी हुई भूख' शब्द का उपयोग किया जाता है।

    मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्वों के बिना पौधों का जीवन संभव नहीं है।

    पौधों को अपने अस्तित्व और विकास के लिए 18 आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है।
    पौधों के जीवित रहने और वृद्धि के लिए आवश्यक 15 पोषक तत्व मिट्टी से प्राप्त होते हैं और 3 अन्य आवश्यक पोषक तत्व प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पौधों द्वारा अवशोषित किए जाते हैं।

    18 आवश्यक पोषक तत्व इस प्रकार हैं:
    1. कार्बन - C
    2. हाइड्रोजन - H
    3. ऑक्सीजन - O
    4. नाइट्रोजन - N
    5. फास्फोरस - P
    6. पोटैशियम - K
    7. कैल्शियम - Ca
    8. मैग्नीशियम - Mg
    9. सल्फर - S
    10. बोरॉन - B
    11. ताँबा - Cu
    12. लोहा - Fe
    13. मैंगनीज - Mn
    14. जिंक - Zn
    15. मोलिब्डेनम - Mo
    16. क्लोरीन - Cl
    17. कोबाल्ट - Co
    18. निकल - Ni


    18 आवश्यक पोषक तत्वों को मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स किसे कहते हैं?
    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स ऐसे तत्व हैं जो पौधों द्वारा बड़ी मात्रा में उपयोग किए जाते हैं।
    सूक्ष्म पोषक किसे कहते हैं ?
    सूक्ष्म पोषक तत्व वे तत्व होते हैं जिनका पौधों द्वारा कम मात्रा में उपयोग किया जाता है।

    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स इस प्रकार हैं:
    1. नाइट्रोजन - N
    2. फास्फोरस - P
    3. पोटैशियम - K
    4. कैल्शियम - Ca
    5. मैग्नीशियम - Mg
    6. सल्फर - S
    मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को आगे प्राथमिक और द्वितीयक पोषक तत्वों के रूप में परिभाषित किया गया है।

    प्राथमिक पोषक तत्व इस प्रकार हैं:

    1. नाइट्रोजन - N
    2. फास्फोरस - P
    3. पोटैशियम - K

    द्वितीयक पोषक तत्व इस प्रकार हैं:

    1. कैल्शियम - Ca
    2. मैग्नीशियम - Mg
    3. सल्फर - S

    सूक्ष्म पोषक तत्व इस प्रकार हैं:

    1. लोहा - Fe
    2. बोरॉन - B
    3. ताँबा - Cu
    4. क्लोरीन - Cl
    5. मैंगनीज - Mn
    6. मोलिब्डेनम - Mo
    7. जिंक - Zn
    8. कोबाल्ट - Co
    9. निकल - Ni


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