द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में

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परिचय

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। इनके जन्म का नाम पुति बिरंची टुडू है। हम जानते हैं कि श्रीमती प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थीं और उन्होंने 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012 तक राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की। द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से हैं।
    ये भारत की राष्ट्रपति का पद संभालने वाली आदिवासी समुदाय से संबंधित पहली व्यक्ति हैं। जुलाई 2022 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद मुर्मू भारत का 15वीं राष्ट्रपति बनीं। उन्होंने 25 जुलाई 2022 को पद ग्रहण किया। उन्होंने 2015 और 2021 के बीच झारखंड के नौवें राज्यपाल के रूप में कार्य किया। 2000 से 2004 तक, उन्होंने ओडिशा सरकार के मंत्रिमंडल में विभिन्न विभागों को संभाला।

    परिवार और व्यवसाय

    नाम: द्रौपदी मुर्मू, भारत का 15वीं राष्ट्रपति
    जन्म नाम पुति बिरंची टुडु
    शिक्षक के द्वारा पुन:नामकरण द्रौपदी
    जन्म तिथि 20 जून 1958
    परिवार संथाल आदिवासी परिवार
    ग्राम उपरबेड़ा
    जिला यूरभंज
    राज्य ओडिशा
    पिता बिरंची नारायण टुडु
    पिताजी का व्यवसाय किसान
    पिताजी और दादा जी का ओहदा ग्राम पंचायत का सरपंच

    शिक्षा

    प्रारंभिक शिक्षा: उपरबेड़ा के स्थानीय प्राथमिक विद्यालय से।
    माध्यमिक शिक्षा : बालिका उच्च विद्यालय इकाई-2 से।
    स्नातक: बी.ए. रमा देवी महिला कॉलेज से।
    पांच साल की उम्र में वह उच्च शिक्षा के लिए भुवनेश्वर चली गईं।

    विवाहित जीवन

    द्रौपदी मुर्मू ने 1980 में श्याम चरण मुर्मू से शादी की। उनके पति एक बैंकर थे। अपने पति के साथ इन्होंने दो बेटे और एक बेटी को जन्म दिया। 2014 में, इनके पति श्याम चरण मुर्मू का हृदय गति रुकने से निधन हो गया। 2009 से 2014 तक का समय द्रौपदी मुर्मू के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इन 6 सालों में इनके पति, दो बेटे, मां और एक भाई का निधन हो गया। श्रीमती मुर्मू छह महीने तक अवसाद से पीड़ित रहीं लेकिन अंततः आध्यात्मिकता की मदद से इससे छुटकारा पा लिया। इसके लिए वह एक आध्यात्मिक संस्था ब्रह्माकुमारी से जुड़ीं।

    कैरियर की शुरूआत

    1979 से 1983 तक, श्रीमती मुर्मू ने ओडिशा सरकार के राज्य सिंचाई और बिजली विभाग में क्लर्क (जूनियर सहायक) के रूप में काम किया। इन्होंने 1994 में रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में पढ़ाना शुरू किया और 1997 तक वहां अपना अध्यापन जारी रखा।

    राजनीतिक कैरियर

    राष्ट्रपति 1994 से 1997 तक शिक्षक के रूप में कार्य किया। 1997 में, द्रौपदी मुर्मू ने नगर पंचायत, रायरंगपुर का चुनाव लड़ा। यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित थी। इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। चुनाव जीतकर वह रायरंगपुर नगर पंचायत की पार्षद बनीं। इसके बाद ये भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने दो बार विधायक के रूप में कार्य किया। वर्ष 2000 और 2009 के बीच, वह रायरंगपुर निर्वाचन क्षेत्र से ओडिशा विधान सभा के लिए दो बार चुनी गईं। वह 2009 में मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव हार गईं।

    द्रौपदी मुर्मू के महत्वपूर्ण पद ( ओडिशा सरकार में)

    वाणिज्य और परिवहन राज्यमंत्री, स्वतंत्र प्रभार (अवधि: 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक, भाजपा और बीजद-बीजू जनता दल की गठबंधन सरकार)। 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक, इन्होंने मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) के रूप में भी काम किया।

    पुरस्कार

    2007 में ओडिशा विधान सभा के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार मिला।

    झारखंड के राज्यपाल के रूप में द्रौपदी मुर्मू

    ये झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनीं। इन्होंने 18 मई 2015 को शपथ ली और 12 जुलाई 2021 तक सेवा की। ये झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं। साथ ही, ये भारत की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल थीं। इन्होंने छह साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। जब मुर्मू झारखंड राज्य की राज्यपाल थीं, तब इन्होंने धर्म विधेयक पारित किया था। धर्म विधेयक क्या था? इस बिल में जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने का प्रावधान किया गया था। झारखंड धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम, 2017 बल या प्रलोभन या कपटपूर्ण तरीकों से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण पर रोक लगाने और उससे संबंधित मामलों के लिए एक अधिनियम है। जबरन धर्म परिवर्तन में लगे व्यक्ति को कानून द्वारा कड़ी सजा दी जाएगी। जुर्माने के साथ लंबी अवधि की कैद हो सकती है। श्रीमती मुर्मू ने झारखंड विधानसभा द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण 2013 अधिनियम में संशोधन के लिए विधेयक को मंजूरी दी। बिल में संशोधनों में मुआवजे की अवधि में बदलाव और सामाजिक प्रभावों के आकलन के लिए आवश्यकताएं शामिल थे। अधिनियम के अनुसार, यदि सरकार द्वारा ऐसी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है जो जनजातीय आबादी के लिए है तो सरकार को छह महीने की अवधि के भीतर मुआवजा राशि देनी होगी।

    जब द्रौपदी मुर्मू डिप्रेशन में चली गईं

    श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को बहुत कठिन परीक्षा का सामना तब करना पड़ा जब इनके जीवन में ऐसी परिस्थितियां, जिसकी हम बात करने जा रहे हैं, आईं।
    द्रौपदी मुर्मू के तीन बच्चे थे। दो बेटे और एक बेटी। 2009 में उनके एक बेटे की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 25 साल के लक्ष्मण मुर्मू अपने बिस्तर पर बेहोशी की हालत में मिले थे। तीन साल बाद, 2012 में उनके दूसरे बेटे शिपुन जो 28 साल के थे, की भी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। परिवार अभी तक इस दुख से उबर नहीं पाया था कि इनके पति श्याम चरण मुर्मू की 2014 में हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई। मुर्मू को चार साल में दो बेटों और पति की मौत का सदमा सहना पड़ा। उनकी इकलौती बेटी इतिश्री ओडिशा के एक बैंक में काम करती हैं। उन्होंने गणेश हेम्ब्रम से शादी की है, जो एक रग्बी खिलाड़ी हैं। कहा जाता है कि बड़े बेटे की मौत के बाद मुर्मू अवसाद और चिंता से ग्रस्त हो गई थीं। ये अपनी हिम्मत के दम पर डिप्रेशन से बाहर निकलीं। अवसाद और चिंता से मुक्ति पाने के लिए मुर्मू ने अध्यात्म का सहारा लिया। मुर्मू ब्रह्मकुमारी नामक एक आध्यात्मिक संगठन में शामिल हो गईं। इन्होंने अपनी व्यक्तिगत त्रासदियों से ऊपर उठने का फैसला किया और अपना जीवन सामाजिक सुधार और सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

    द्रौपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति का पद संभालने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं

    द्रौपदी मुर्मू से पहले, नीलम संजीव रेड्डी, जिनका जन्म 19 मई 1913 को हुआ था, भारत के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति थे और उन्होंने 25 जुलाई 1977 को 64 साल 4 महीने 6 दिन की उम्र में राष्ट्रपति का पद संभाला था। लेकिन, इस रिकॉर्ड को द्रौपदी मुर्मू ने तोड़ दिया है, क्योंकि इनका जन्म 20 जून 1958 को हुआ था, इन्होंने 25 जुलाई 2022 को 64 साल 1 महीने 5 दिन की उम्र में भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला था। यानी द्रौपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति का पद संभालने के मामले में नीलम संजीव रेड्डी से 3 महीने 1 दिन छोटी हैं।

    स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाली भारत की प्रथम राष्ट्रपति - द्रौपदी मुर्मू

    दिलचस्प तथ्य यह है कि अब तक भारत के किसी भी राष्ट्रपति का जन्म स्वतंत्र भारत में नहीं हुआ है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को हुआ था। हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्र हुआ था। द्रौपदी मुर्मू को छोड़कर, भारत के अब तक के सभी राष्ट्रपतियों का जन्म स्वतंत्र भारत से पहले यानी 1947 से पहले हुआ है।

    द्रापदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में

    एनडीए ने 2022 के चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया। विपक्षी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा विपक्षी दलों द्वारा नामित थे। चुनाव 18 जुलाई 2022 को हुआ। मतगणना 21 जुलाई 2022 को हुई। श्रीमती मुर्मू ने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में स्पष्ट बहुमत हासिल किया। इन्होंने विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 64.03% इलेक्टोरल वोटों के साथ हराया। इन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में पद की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने शपथ दिलाई। इस प्रकार ये भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में चुनी गईं और 25 जुलाई 2022 को पदभार ग्रहण किया।

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